ज्योति देशपांडे: लड़कों के साथ क्रिकेट खेलने से वायकॉम18 को आईपीएल के डिजिटल अधिकार दिलाने तक की कहानी
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के संस्थापक दिवस पर 28 दिसंबर, 2017 को वे मुकेश अंबानी के सामने बैठी थीं. ज्योति को कंपनी के मीडिया और मनोरंजन विभाग की अगुआई का काम सौंपा गया.

जब ज्योति देशपांडे छह साल की थीं, जब उन्हें न्यूमोनिया हुआ. टीका लगा होने के बाद भी बाएं पैर में पोलियो हो गया. उनके पत्रकार पिता कृष्णन सुब्बारायन के लिए यह लगन से भरी बेटी की परवरिश के मिशन की शुरुआत थी. देशपांडे बताती हैं, "उन्होंने कहा कि तुम जिस भी क्षेत्र में बेहतरीन बनना चाहती हो, बनो. नकारात्मक विचार को रचनात्मक सकारात्मक विचार से बदलो. आत्मसम्मान और सेल्फ इमेज कभी मेरे लिए मुद्दा नहीं रहे."
ज्योति ने लड़कों के साथ क्रिकेट खेला, और पढ़ाई में इतनी उम्दा थीं कि हेड गर्ल बनीं. यही भरोसा तब भी काम आया जब उन्होंने एस.पी. जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ऐंड रिसर्च में महज एक प्लेसमेंट इंटरव्यू में बैठना चुना और उन्हें विज्ञापन कंपनी जे. वॉल्टर थॉम्पसन इंडिया में नौकरी मिल गई. शादी की वजह से उन्हें लंदन बसना पड़ा, पर ऊंचाई छूने की तलाश में अड़चन नहीं आई.
वे जीटीवी में एडवर्टाइजिंग सेल्स की प्रमुख बनीं, बी4यू टेलीविजन नेटवर्क लॉन्च करने में मदद की, और फिर करीब दो दशक इरोज इंटरनेशनल के साथ काम करते हुए देवदास, कॉकटेल, बजरंगी भाईजान और इंग्लिश विंग्लिश सरीखी फिल्में प्रोड्यूस कीं, कंपनी को लंदन और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध करवाया और इरोज नाउ लॉन्च किया.
जल्द ही उन्हें जिंदगी का नया मकसद मिल गया. रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के संस्थापक दिवस पर 28 दिसंबर, 2017 को वे मुकेश अंबानी के सामने बैठी थीं. ज्योति को कंपनी के मीडिया और मनोरंजन विभाग की अगुआई का काम सौंपा गया.
आरआईएल ने वायकॉम18 में हिस्सेदारी बढ़ाकर 51 फीसद और अभी हाल में 70 फीसद से ज्यादा कर ली. सीईओ के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान वायकॉम18 ने सबके लाडले आईपीएल के डिजिटल अधिकार भी हासिल किए. उनका जुनून अलबत्ता किस्सागोई ही है, "मुझे लगता है कि असर कायम करने की जंग कहानियों के जरिए लड़ी जा रही है."