एकता कपूर: घरेलू एंटरटेनमेंट की दुनिया को रखती हैं अपनी मुट्ठी में
आज एकता को भारतीय टीवी इंडस्ट्री की हिट की गारंटी वाली निर्माता माना जाता है. क्योंकि...सास भी कभी बहू थी, कहानी घर-घर की, कसौटी जिंदगी की जैसे लंबे धारावाहिकों का निर्माण उन्होंने ही किया.

किसी को कोई बड़ा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिलता है तो वह सफलता का जश्न मनाता है. लेकिन पुरस्कार पाने वाली एकता कपूर हों तो ऐसा नहीं होता. उन्हें रोज की तरह काम पर लौटना ही भाता है. हाल में 'टेलीविजन इंडस्ट्री में उल्लेखनीय करियर और असर’ के लिए उन्हें इंटरनेशनल एमी डायरेक्टरेट अवार्ड से सम्मानित किया गया.
पर एकता नहीं चाहती थीं कि यह सम्मान उनके करियर का अंतिम पड़ाव लगे. वे कहती हैं, "मेरा काम ही मेरे लिए ऑक्सीजन है, मुझे इससे दूरी पसंद नहीं. मैं युवाओं की इस इंडस्ट्री के साथ लगातार जुड़ी रहना और उनसे बहुत कुछ सीखना चाहती हूं. मैं पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहती."
उनके जीवन का पहला चैप्टर 17 की उम्र में खुला जब उन्होंने पिता और अभिनेता जीतेंद्र की फंडिंग पर मां शोभा के साथ मिलकर डॉल्फिन टेलीफिल्म्स की शुरुआत की. उनके बनाए पांच पायलट को कोई खरीदार न मिला. आखिर में बचे पैसों में उन्होंने धारावाहिक हम पांच (1995) बनाया, जो जीटीवी पर दिखाया गया.
धीरे-धीरे एकता ने इस इंडस्ट्री के मुफीद बातचीत की कला सीख ली और अपनी 'चमड़ी मोटी’ कर ली. उन्हें आज भारतीय टीवी इंडस्ट्री की हिट की गारंटी वाली निर्माता माना जाता है. क्योंकि...सास भी कभी बहू थी, कहानी घर-घर की, कसौटी जिंदगी की जैसे लंबे धारावाहिकों का निर्माण उन्होंने ही किया.
अपनी फिल्मों (लिपस्टिक अंडर माई बुर्का, डॉली किट्टी और चमकते सितारे) और ऑल्टबालाजी पर वेब सीरीज के जरिये उन्होंने ऐसी नायिकाओं को सामने रखा जो अपनी भावनाएं जाहिर करने से नहीं कतरातीं. एकता कहती हैं, "सेक्स पर बेझिझक बात करने वाली और भावनात्मक रूप से मुखर महिलाओं को अभी भी अजीब नजरों से देखा जाता है, यह ऐसी लड़ाई है जिसे लगातार जारी रखने की जरूरत है."
वे खुद में एक किंवदंती बनती जा रही हैं—वक्त-बेवक्त मीटिंग करना, आधी रात को सैर पर निकलना भी इसकी वजहें हैं. एकता हंसते हुए कहती हैं, "मैंने रात में ही अपना सबसे बेहतरीन काम किया है. जब मैंने कॉर्पोरेट तरीका अपनाया और सुबह-सुबह काम करना शुरू किया, वह एकदम बकवास होता था. आपको अपने डीएनए को पहचानना होगा, आप किस तरह के जीव हैं, उसी अनुरूप खुद को ढालना होगा." अभी उनमें बहुत कुछ करने की भूख बाकी है.