नई संस्कृति-नए नायकः सत्ता पर कटाक्ष करते पिता-पुत्र
कामयाबी के बारे में विश्वजीत बताते हैं कि ऐसा शायद इसलिए मुमकिन हो पाया क्योंकि उन्होंने ज्वलंत मुद्दे को चुना, प्रस्तुति को ज्यादा गंभीर नहीं होने दिया और हंसोड़पने में अपनी बात कही. उनके किरदार भी वास्तविकता के नजदीक थे. गंवई माहौल में बगैर साज-सज्जा के पूरी तरह घरेलू मगही संवाद रखे गए. पर अब मगही के ऐसे वीडियो ने लोगों की उम्मीदें जगा दी हैं और मगही फिल्म निर्माताओं ने विश्वजीत से संपर्क कर फिल्म में काम का ऑफर भी दिया है.

सुनलिये हल कि पटना स्मार्ट सिटी बने वला है. जवाब है, स्मार्ट सिटी से भी बड़ा स्मार्ट बना देवल गेले हय. एकरा वेनिस बना देवल गेले हय. वेनिस का नाम सुनला हय? जहां रोड नय हय. उहे पटना के बना देल गेले हय. नाव से सब्जी लेवे जा. खैनी लेवे के हो तो खैनी लेवे जा.
यह मगधी बॉयज फेसबुक पेज पर अपलोड बिहार बना वेनिस का संक्षिप्त अंश है. इसमें दो लोग आपस में मगही में पटना की वेनिस से तुलना करते और सरकार पर कटाक्ष करते दिखते हैं. पिछले 2 अक्तूबर को अपलोड इस वीडियो को मगधी बॉयज पेज पर 9.34 लाख से अधिक लोग देख चुके हैं. यह फेसबुक पेज बिहार के नालंदा जिले के वेन प्रखंड के बसंतपुर निवासी विश्वजीत प्रताप सिंह चलाते हैं. मजे की बात है कि इसमें बात करनेवाले दोनों लोग पिता-पुत्र हैं. इस वीडियो की खासियत है इसकी भाषा. इतने कम समय में इतने अधिक दर्शक बटोरने वाला यह मगही का पहला वीडियो है. अब तक पेशे से इंजीनियर रहे विश्वजीत की पहचान अब मगधी बॉयज के रूप में हो गई है. पटना में बाढ़ पर केंद्रित मगधी बॉयज के दूसरे वीडियो को भी 2.39 लाख से अधिक लोगों ने देखा.
यही नहीं, बुढ़ापे में मां-बाप को वृद्वाश्रम पहुंचाने जैसे मसले पर केंद्रित मगही वीडियो को भी 4.61 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं. अपनी इस कामयाबी से 29 वर्षीय विश्वजीत काफी उत्साहित हैं. सिर्फ इसलिए नहीं कि व्यूज बढ़ रहे हैं, बल्कि इसलिए भी क्योंकि मगही भाषी वीडियो को लोग पसंद कर रहे हैं और भाषा वीडियो के प्रसार में कोई बाधा नहीं बनी है. विश्वजीत कहते हैं, ''मगहीभाषियों का दायरा बड़ा है, लेकिन संकोच के कारण भाषा सिकुड़ रही है. आपस में भी लोग मगही बोलने से परहेज करते रहे हैं. ऐसे में मगही को जीवित रखने का प्रयास सफल हो रहा है.''
कामयाबी के बारे में विश्वजीत बताते हैं कि ऐसा शायद इसलिए मुमकिन हो पाया क्योंकि उन्होंने ज्वलंत मुद्दे को चुना, प्रस्तुति को ज्यादा गंभीर नहीं होने दिया और हंसोड़पने में अपनी बात कही. उनके किरदार भी वास्तविकता के नजदीक थे. गंवई माहौल में बगैर साज-सज्जा के पूरी तरह घरेलू मगही संवाद रखे गए. पर अब मगही के ऐसे वीडियो ने लोगों की उम्मीदें जगा दी हैं और मगही फिल्म निर्माताओं ने विश्वजीत से संपर्क कर फिल्म में काम का ऑफर भी दिया है.
इस छोटे-से सफर में भी विश्वजीत को काफी मुश्किलें झेलनी पड़ी हैं. 2014 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके निकले विश्वजीत चार साल तक बेरोजगार रहे. पर इससे पहले वे एक कारनामा कर चुके थे. विश्वजीत ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के आखिरी सेमेस्टर में अपने सहपाठियों अभिनव आनंद और विभुनंदन सिंह के साथ मिलकर गैंग्स ऑफ वासेपुर की पैरोडी गैंग्स ऑफ बेरोजगार बनाई थी. यह कोर बनाम आइटी पर केंद्रित वीडियो था. कुछेक घंटों में इसे 15 लाख से अधिक लोगों ने देख लिया था. अभिनेता मनोज वाजपेयी और अनुराग कश्यप ने तो इसे शेयर भी किया था.
पढ़ाई खत्म होने के बाद विश्वजीत की एक नौकरी लगी पर पिता की बीमारी में निजी कंपनी ने छुट्टी देने से इंकार कर दिया. तब वे नौकरी छोड़कर पिता के स्कूल में पढ़ाने लग गए. पर अंदर में एक रचनात्मक भूख थी जो उनके इंजीनियर को नौकरी करने से रोक रही थी. आखिरकार, दोस्तों ने उनको मुंबई बुला लिया और तब से वहां पटकथा लेखन में जुटे हैं.
मगधी बॉयज की शुरुआत में पिता की बजाए उन्होंने दोस्तों का साथ लेना चाहा. पर वीडियो में दिखने वाले साथी युगल किशोर निजी कंपनी में काम करते थे और कंपनी को आपत्ति थी. दोनों भाइयों के साथ भी दिक्कत थी. तब विश्वजीत ने अपने पिता को ही वीडियो में नमूदार होने के लिए मनाया.
विश्वजीत ने अपना पहला वीडियो पिता सतीश कुमार सिंह के साथ नए ट्रॉफिक नियमों पर मगही में एक वीडियो बनाकर यूटयूब पर अपलोड किया था. इस वीडियो को आठ लाख से अधिक लोगों ने देखा. इससे मगही में वीडियो बनाने का उनका हौसला मजबूत हुआ.
हालांकि, शुरुआती वीडियो में उन्होंने पिता के परिचय को गौण रखा और उन्हें चाचा कहकर संबोधित किया पर इससे सहजता नहीं दिख रही थी. लिहाजा, दक्षिण अफ्रीका और भारत के क्रिकेट मैच वाले वीडियो में पिता के संबोधन के साथ आए और मां विद्या देवी भी कुछ पल के लिए आईं. अब पिता-पुत्र की जोड़ी वाले वीडियो चल निकले हैं.
मगधी बॉयज के पहले बिहारी नंबर एक चैनल पर एक था लालू और जवाब दो नीतीश कुमार जैसे वीडियो के जरिए विश्वजीत कोशिश कर चुके हैं. पर चुटीले कटाक्षों और बेहद देसी भाषा मगही के साथ उनके नए अवतार ने लोगों के दिलों में घर करना शुरू कर दिया है. लगता है सोशल मीडिया भाषाओं की रक्षक भी बन रही है.
संघर्ष
चार साल बेरोजगार रहे, आर्थिक तंगी
टर्निंग पॉइंट
गैंग्स ऑफ बेरोजगार की सफलता
उपलब्धि
मगही बॉयज चल निकला, फिल्म के प्रस्ताव आए
सफलता के सूत्र
चर्चित मसलों को मगही भाषा और देसी अंदाज में पेश किया
लोकप्रियता के कारक
शून्य बजट, वास्तविक लगते किरदार, चटपटे संवाद
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