प्रधान संपादक की कलम से

कौन-से कॉलेज में पढ़ाई पर निवेश के सबसे अच्छे रिटर्न मिलते हैं, सबसे कम फीस लेते हैं और अधिक वेतन वाले कैंपस प्लेसमेंट मुहैया कराते हैं; इंडिया टुडे बेस्ट कॉलेज सर्वेक्षण अपने 28वें साल में ऐसा पैमाना और अनुभव लेकर आया है जो बेजोड़ है. यह 14 प्रमुख स्ट्रीम में उत्कृष्टता नापने का बैरोमीटर बन गया है

इंडिया टुडे कवर : भारत के बेस्ट कॉलेज 2024 (इंडिया टुडे - एमडीआरए सर्वे)
इंडिया टुडे कवर : भारत के बेस्ट कॉलेज 2024 (इंडिया टुडे - एमडीआरए सर्वे)

- अरुण पुरी

हर साल लगभग इन्हीं दिनों देश में हाई स्कूल में ताजा-ताजा पास हुए एक करोड़ से ज्यादा छात्र अपनी पसंद के कॉलेज की तलाश में जी-जान से जुट जाते हैं. वे जिस दुनिया में कदम रखने जा रहे हैं, वह कई अनजान संभावनाओं से भरी है, और अमूमन कोई राह साफ-साफ नहीं सूझती.

कॉलेज शिक्षा में हर स्तर पर विस्फोट हो रहा है, हर साल उसकी मात्रा और जटिलता बढ़ती जा रही है. मसलन, जनवरी, 2023 में जारी सरकारी अनुमानों के मुताबिक, 2021-22 में देश के उच्च शिक्षा संस्थानों में 4.33 करोड़ युवाओं ने दाखिला लिया, जो 2014-15 के मुकाबले 26.5 फीसद ज्यादा है.

उनमें करीब 3.5 करोड़ स्नातक कोर्स में थे. इनमें दाखिला लेने आ रहे छात्र विकल्पों की बड़ी भूलभुलैया देख चकरा जा सकते हैं. पिछली गणना के मुताबिक, देश में 45,473 कॉलेज थे, जो 2014-15 की संख्या से लगभग 7,000 अधिक है. लेकिन अच्छी पढ़ाई और उनकी जगह जैसे पैमाने पर आंकें तो यह आंकड़ा अच्छे विकल्पों की कमी को छिपा जाता है.

इसलिए हर आकांक्षी कॉलेज छात्र के लिए एक अच्छी हैंडबुक बेहद जरूरी है. यह विशेष अंक आपको बिल्कुल यही मुहैया कराता है. असल में यह इस पेशे में स्वर्ण मानक की तरह है. 

इंडिया टुडे बेस्ट कॉलेज सर्वेक्षण अपने 28वें साल में ऐसा पैमाना और अनुभव लेकर आया है जो बेजोड़ है. यह 14 प्रमुख स्ट्रीम में उत्कृष्टता नापने का बैरोमीटर बन गया है. मसलन, कला, विज्ञान, वाणिज्य, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कानून, वास्तुकला, सामाजिक कार्य, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, दंत चिकित्सा, फैशन डिजाइन, होटल मैनेजमेंट, मास कम्युनिकेशन और कंप्यूटर एप्लिकेशन वगैरह.

2018 से यह सर्वेक्षण दिल्ली स्थित मार्केटिंग ऐंड डेवलपमेंट रिसर्च एसोसिएट्स (एमडीआरए) के जरिए किया जा रहा है. एमडीआरए के साथ हमने इन वर्षों में न सिर्फ अपने सर्वेक्षण तरीके को परिष्कृत किया है, बल्कि हम लगातार इसका विस्तार भी कर रहे हैं. पिछले छह साल में इसमें शिरकत करने वाले कॉलेजों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है. यानी 2018 में 988 से इस साल 1,779 हो गई.

यह सर्वेक्षण अब कॉलेजों के प्रदर्शन को पांच प्रमुख मापदंडों पर मापता है—इनटेक क्वालिटी और गवर्नेंस; अकादमिक उत्कृष्टता; इन्फ्रास्ट्रक्चर और माहौल; व्यक्तित्व और नेतृत्व का विकास; और करियर की संभावना और प्लेसमेंट. 

हमारे सर्वेक्षण की सभी ठोस बातें ज्यों की त्यों बरकरार हैं. हमने इन वर्षों में कॉलेज पढ़ाई के आकांक्षी छात्रों को अधिक विस्तृत जीपीएस सिस्टम से लैस करने के तरीकों के बारे में सोचा है. यह दाखिला चाहने वालों और उनके अभिभावकों के लिए आवाजाही में मददगार है. मसलन, हमने छात्रों के लिए यह देखना आसान बना दिया है कि किस शहर में उन्हें सबसे अच्छा विकल्प मुहैया है.

यह जानकारी भी है कि कौन-से कॉलेज में पढ़ाई पर निवेश के सबसे अच्छे रिटर्न मिलते हैं, सबसे कम फीस लेते हैं और अधिक वेतन वाले कैंपस प्लेसमेंट मुहैया कराते हैं. हमने महसूस किया कि किसी कॉलेज की कुल बेहतरीन रैंकिंग भी बारीक और करीबी नजर डालने पर भ्रामक हो सकती है. वह किसी खास विषय के लिए बेहतरीन नहीं हो सकता. कोई दूसरा कॉलेज औसत कुल रेटिंग खास विषय में बेहतरीन संकाय वाला हो सकता है. साथ ही उसमें शोध और तकनीकी संसाधन या उद्योग से जुड़ाव बेहतर हो सकते हैं.

अगर आप साफ नजरिए के साथ किसी विशिष्ट पाठ्यक्रम पर विचार कर रहे हैं, तो यह महत्वपूर्ण हो जाता है. इसलिए शुरुआत में हमने दो स्ट्रीम कला और विज्ञान के तहत 12 अलग-अलग विषयों में सर्वश्रेष्ठ कॉलेजों की रेटिंग की है. मसलन, अर्थशास्त्र, इतिहास, अंग्रेजी, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान, भौतिकी, रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, जंतु विज्ञान, हिंदी और संस्कृत.

हमने देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भौगोलिक विस्तार के साथ भी तालमेल कायम किया है, और कोई आश्चर्य नहीं कि हमारे सर्वेक्षण के नतीजों में यह साफ-साफ झलकता है. भोपाल, कानपुर और लखनऊ जैसे शहरों के कॉलेज शीर्ष 30 में जगह बना रहे हैं, जो बताता है कि शिक्षा क्षेत्र का धीरे-धीरे लोकतांत्रिकरण हो रहा है.

इन सारी जानकारी को अधिक व्यावहारिक और उपयोगी बनाने के लिए, सर्वेक्षण में देश के कई टियर 2 और टियर 3 शहरों में शीर्ष तीन कॉलेजों की फेहरिस्त तैयार की गई है. इस तरह उच्च शिक्षा संस्थानों के मामले में यह रैंकिंग काफी विस्तृत और समावेशी बन जाती है. यह खासियत अलग-अलग दायरों के छात्रों को आकर्षित कर सकती है. कॉलेजों के मामले में उनकी विरासत भी अहम भूमिका अदा करती है.

मसलन, दिल्ली देश में उच्च शिक्षा का केंद्र बना हुआ है, जहां सभी स्ट्रीम में टॉप 10, टॉप 25 और टॉप 50 की सूची में सबसे अधिक कॉलेज हैं. लेकिन वहां ऊंचे कट-ऑफ मार्क बड़ी संख्या में छात्रों के दाखिलों में भारी रुकावट हैं. इसके विपरीत, कर्नाटक में देश के सभी राज्यों के मुकाबले कॉलेज घनत्व सबसे अधिक है, जहां 18 से 23 वर्ष की आयु की हर 1,00,000 की आबादी पर 62 कॉलेज हैं.

अब छात्र अपनी ही रिहाइश के पास के कॉलेजों से नहीं चिपके रहते हैं और नए स्थानों की खोज कर सकते हैं, खासकर अगर वे स्नातक स्तर पर स्पेशलाइजेशन करना चाहते हैं. लिहाजा, विकल्प बढ़ गए हैं. और यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि आप अपनी ख्वाहिश के मुताबिक कॉलेजों के मूल्यांकन की विश्वसनीय प्रणाली की सटीक ग्रेडिंग से बेहतरीन जांच-परख कर सकें. यही बात अगले पन्नों पर दर्शाई गई है.

सर्वेक्षण से पता चलता है कि पुरानी विरासत वाले संस्थान अपनी स्थिति कायम रखने में स्थिर बने हुए हैं. पिछले पांच वर्षों से सभी स्ट्रीम में विजेताओं की सूची में कोई बदलाव नहीं हुआ है. लेकिन उनकी नंबर एक स्थिति में उनकी निरंतरता सिर्फ स्थापित विरासत का ही मामला नहीं है. इन सभी संस्थानों ने नई परिस्थितियों से तालमेल और नवाचार के मामले पर काफी फोकस किया है.

यह महत्वपूर्ण है क्योंकि उच्च शिक्षा उद्योग की जरूरतों के साथ बेहतर तालमेल बिठाने की कोशिश करती है, वह भी ऐसे समय में जब बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है. देश में यह तय करने की जरूरत है कि हम नौकरियों के संकट का जवाब केवल मात्रा के आधार पर न दें.

गुणवत्ता के लिए राष्ट्रीय प्रतिबद्धता बनाए रखना जरूरी है. यह छात्रों और अभिभावकों के लिए चिंता और भ्रम का समय हो सकता है, लेकिन यह याद रहे कि विकल्प विश्वसनीय जानकारी के आधार पर चुने जाने चाहिए.

इस वर्ष के करोड़ों छात्रों को शुभकामनाएं. खूब ध्यान से विकल्प चुनिए क्योंकि शायद यह आपके जीवन का सबसे अहम चुनाव है.

- अरुण पुरी, प्रधान संपादक और चेयरमैन (इंडिया टुडे समूह)

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