इनके अरमानों का क्या?
गुजरात में भाजपा के कुछ नेताओं की नाराजगी, राजस्थान में वसुंधरा राजे के उनके विरोधियों के साथ मेल-मिलाप, नीतीश कुमार के एनडीए में वापस जाने की संभावनाओं जैसे मसलों पर उड़ती-उड़ती सी खबरें

भाजपा के गुजरात के नेता इन दिनों बेहद नाखुश हैं. पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उनमें किसी को भी नियुक्त नहीं किया. खासकर पूर्व सीएम विजय रूपाणी और पूर्व डिप्टी सीएम नितिन पटेल की गैर-मौजूदगी ने सबका ध्यान खींचा है. पटेल काफी नाराज बताए जा रहे हैं. रुपाणी को 2022 में पंजाब का प्रभारी बनाया गया था और इस साल मई में उन्हें मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आउटरीच प्रोग्राम की देखरेख का काम सौंपा गया. वहीं पटेल को क्षेत्रीय प्रचार कार्यक्रमों में व्यस्त रखा गया है. हर कोई अब सी.आर. पाटील के भविष्य की सोच रहा है. उनका राज्य पार्टी अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल जुलाई में खत्म हो गया और अब वे कैबिनेट में जगह या फिर संगठन में अहम भूमिका पर नजर गड़ाए हुए हैं.
जाने क्या दिख जाए
राजस्थान की मुख्यमंत्री रहते हुए वसुंधरा राजे ने पर्यटन विभाग का स्लोगन ''पधारो म्हारे देश'' से बदलकर ''जाने क्या दिख जाए'' कर दिया था. आजकल उनकी पार्टी में ऐसे ही नजारे दिख रहे हैं. बीते दिनों एक-दूजे के विरोधी माने जाने वाले भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, राजे और सांसद किरोड़ी लाल मीणा की एक साथ तस्वीरें सामने क्या आईं, उनके विरोधी सकते में आ गए. तीनों की मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं. वहीं जल-भुन रहे नेताओं को सियासी सयानों ने कुछ ऐसे दिलासा दिया—चिंता न करो, चुनाव से पहले बहुत कुछ दिखेगा.
दरवाजा अब भी खुला!
एनडीए का दरवाजा नीतीश कुमार के लिए कब खुलता, कब बंद होता है, यह किसी को नहीं पता. भाजपा के बड़े नेता बार-बार कह रहे हैं कि नीतीश के लिए एनडीए के तमाम रास्ते बंद हो गए हैं. पर बीते दिनों एक रोचक वाकया हुआ. केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले बिहार आए तो उन्होंने कहा, ''नीतीश हमारे हैं, वे चाहें तो अब भी हमारे साथ आ सकते हैं.'' उन्होंने नीतीश की तारीफ भी की. वैसे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी समेत कई नेताओं ने कहा कि नीतीश के रास्ते बंद हो चुके हैं. मगर अठावले यह प्रश्न तो छोड़ ही गए कि क्या एनडीए फिर नीतीश की वापसी की संभावना देख रहा है?
13 साल नौकरी, 21 दफा ट्रांसफर
बरेली के एसएसपी प्रभाकर चौधरी का 31 जुलाई को तबादला 32वीं वाहिनी पीएसी, लखनऊ में कर दिया गया. यह कांवड़ियों पर लाठीचार्ज के कुछ घंटे बाद ही किया गया. तेजतर्रार और साफ-सुथरी छवि वाले वर्ष 2010 के आइपीएस अफसर चौधरी के तबादले पर सोशल मीडिया पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. 13 साल की नौकरी के दौरान चौधरी का यह 21वां तबादला है. वे देवरिया, बिजनौर, बुलंदशहर, बलिया और कानपुर देहात में एसपी तथा वाराणसी, मुरादाबाद, मेरठ और आगरा में एसएसपी का पदभार संभाल चुके हैं. उन्होंने सबसे ज्यादा मेरठ में साल भर तक एसएसपी की कुर्सी संभाली, बाकी जिलों में उनका कार्यकाल 6-7 महीनों का ही रहा.
मदद दरकार
वर्ष 2021 में मक्कल नीति मय्यम के संस्थापक कमल हासन कोयंबत्तूर दक्षिण विधानसभा सीट मात्र 1 फीसद के अंतर से हार गए थे. वे 2024 के आम चुनाव के लिए अब कोई कसर नहीं छोड़ रहे. घर-घर जाने का—मक्कोलुडु मय्यम—अभियान पहले से चल रहा है. उन्होंने जिले की पहली महिला बस ड्राइवर एम. शर्मिला को 7-सीट वाला मल्टी-यूटिलिटी वाहन बुक करने के लिए 3 लाख रु. दिए. द्रमुक सांसद एम. कनिमोलि को मुफ्त यात्रा कराने पर विवाद के बाद उसे एक निजी बस ऑपरेटर की नौकरी छोड़नी पड़ी थी. तो क्या हासन को लोकसभा सीट के लिए द्रमुक की जरूरत पड़ सकती है?
— जुमाना शाह, आनंद चौधरी, पुष्यमित्र, आशीष मिश्र और अमरनाथ के. मेनन