अनलॉक 5.0: रफ्तार का इंतजार

रेलवे ने मुसाफिरों के लिए रंगों के कोड वाले क्यूआर टिकटिंग की व्यवस्था की है, जिसके साथ वे तय समय स्लॉट में ही ट्रेन की यात्रा कर सकते हैं

ट्रेन की मुश्किल मुंबई के भयंदर रेलवे स्टेशन पर खड़े यात्री और ट्रेन
ट्रेन की मुश्किल मुंबई के भयंदर रेलवे स्टेशन पर खड़े यात्री और ट्रेन

बस स्टॉप पर जमा भीड़ मुंबई और इसके उपनगरों में दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. भरी बसें आ-जा रही हैं और बहुत कम लोग ही इसमें चढ़ पाते हैं. लोगों में हताशा बढ़ती जा रही है, लेकिन मुसाफिरों के पास विकल्प कम ही हैं. मुंबई अपनी आर्थिक गतिविधियों को बहाल करने की राह पर है, दफ्तर खोले जा रहे हैं और उद्योग कारोबार को दोबारा जमाने की कोशिश में हैं, पर सामान्य होने की राह में एक बड़ा संपर्क सूत्र अभी भी जोड़ा नहीं जा सका है—उपनगरीय या लोकल ट्रेनें, जिन्हें मुंबई की जीवनरेखा कहते हैं.

कोविड के आने के बाद से लोकल ट्रेनें मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (एमएमआर) में चलना बंद हो गईं जो सामान्य दिनों में अंदाजन 80 लाख यात्रियों को रोजाना ढोती थीं. अपवाद के तौर पर ये स्वास्थ्य और जरूरी सेवाओं के कर्मचारियों, जो दवा और खाद्य उद्योग, बैंकिंग और वकालत से जुड़े हैं, के लिए चलती रहीं. एक अपवाद महिला यात्रियों के लिए सेवा भी है, जिसके लिए ट्रेन को 21 अक्तूबर से दो अवधियों—सुबह 11 बजे से 3 बजे और शाम 7 बजे से 12.40 रात तक बहाल कर दी गई है.

महाराष्ट्र सरकार लोकल ट्रेन सेवा बहाल करने को बेताब है और इस बारे में रेलवे के साथ बातचीत जारी है—हालांकि अभी तक यह नाकाम रही है. 28 अक्तूबर को राज्य सरकार ने रेलवे से अनुरोध किया कि यह मुंबई में सभी लोगों के लिए लोकल ट्रेन सेवा बहाल कर दे और यात्रा के लिए तीन समय अवधियों का सुझाव दिया: सुबह 4 बजे से 7.30 बजे, 11 बजे से 4 बजे शाम और रात 8 बजे से 12.40 (आखिरी ट्रेन). लेकिन रेलवे ने यात्रियों में महामारी के जोखिम का तर्क देते हुए इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया. रेलवे चाहता है कि सरकार रेलवे स्टेशनों पर भीड़ के प्रबंधन की जिम्मेदारी उठाए और राज्य सरकार कहती है कि यह रेलवे का काम है.

कोविड की आमद से पहले, उपनगरीय रेल नेटवर्क में कोई 2,200 रोजाना पैंसेजर ट्रेनों के फेरे एमएमआर में लगते थे. हालांकि, हर ट्रेन की आधिकारिक क्षमता 1,700 यात्रियों की है, भीड़-भाड़ वाले समय में ट्रेनों में उससे दोगुने लोग सफर करते थे. 31 अक्तूबर को सेंट्रल रेलवे और पश्चिम रेलवे ने सरकार को सूचित किया कि बंदिशों के बाद उनकी लोकल ट्रेनें रोजाना सिर्फ 22 लाख लोगों को सेवा दे पा रहा है, क्योंकि सामाजिक दूरी के मानकों की वजह से ट्रेनों की यात्री क्षमता बेहद कम होकर 700 तक रह गई है. 1 नवंबर से रेलवे ने 610 लोकल ट्रेनों की शुरुआत की है और इससे रोज फेरों की संख्या बढ़कर 2,000 हो गई है.

महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों को आगे राह खुलने की उम्मीद है जब उनकी नवंबर के दूसरे हफ्ते में रेलवे के अधिकारियों के साथ बैठक होगी. महाराष्ट्र के राहत और पुनर्वास मंत्री विजय वादेत्तीवार लोकल ट्रेन शुरू करने की राज्य की मांग पर केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल पर सकारात्मक पहल नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहते हैं, ''यह वक्त सियासी रंजिश निकालने का नहीं है. ट्रेनें उनकी इच्छा के अनुसार चलती हैं. जब उनका मन होगा तभी लोकल ट्रेनें सामान्य लोगों के लिए चल पाएंगी.'' वादेत्तियार का विभाग अलहदा विकल्पों पर विचार कर रहा है, मसलन, निजी कंपनियों को शिफ्ट तय करने का अधिकार दिया जा रहा है.

एमएमआर के अधिकतर निजी और सरकारी दफ्तरों का समय 9 से 5 का है, इससे शहर की सार्वजनिक यातायात व्यवस्था पर सुबह 8 से 10 के बीच और शाम को 6 से 8 के बीच जबरदस्त दबाव होता है. मुंबई में सरकारी और निजी दफ्तरों में शिफ्ट आधारित कामकाज की सिफारिश पहली दफा 2015 में तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने देवेंद्र फड़णवीस सरकार से की थी. राज्य सरकार ने इस विचार को अव्यावहारिक बताते हुए खारिज कर दिया था.

रेलवे ने मुसाफिरों के लिए रंगों के कोड वाले क्यूआर टिकटिंग की व्यवस्था की है, जिसके साथ वे तय समय स्लॉट में ही ट्रेन की यात्रा कर सकते हैं. लेकिन इस तरह की व्यवस्था सिर्फ तभी प्रभावी साबित हो सकती है जब दफ्तरों के समय अलग-अलग हों—और राज्य सरकार को यह चलन शुरू करने में अगुआ भूमिका निभानी होगी.

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