"बॉलीवुड मर चुका है"
उनके पाठकों का वितान बहुत बड़ा रहा है. कई बेस्टसेलर समेत चौदह उपन्यास लिखने वाले चेतन भगत ने किताबों, फिल्मों, सोशल मीडिया और अपने नए काम के बारे में इंडिया टुडे हिंदी से बातचीत में क्या साझा किया

● आप लेखक हैं, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं, मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं, अब जीवन का और कौन-सा आयाम तलाशना चाहते हैं?
पिछले साल मैं पचास का हो गया. बाहर की दुनिया में तो मेरी बड़ी ग्रोथ हुई. सक्सेस, पैसा, शोहरत सब कुछ मिला. लेकिन 'इनर सेल्फ' की ग्रोथ उतनी नहीं हुई. मैंने बहुत कुछ अनदेखा किया. दोस्तियां अनदेखी कीं, अपने परिवार और सेहत की अनदेखी की. पिछले कुछ साल से मैंने यह तलाश करने की कोशिश की है कि 'मैं कौन हूं?'. हालांकि महत्वाकांक्षाएं तो हमेशा रहती हैं.
● अपने दौर की कोई ऐसी महत्वाकांक्षा, जिसका जिक्र आप करना चाहें?
एक सपना या उम्मीद कह लीजिए. इंडिया टुडे मैगजीन से ही जुड़ी है, सुनाता हूं. मेरी पहली किताब 2004 में आई. इंडिया टुडे में जो बुक रिव्यू का पन्ना आता है उसकी बहुत अहमियत होती है लेखकों के बीच, आज भी. तब तो इसमें अपनी किताब का रिव्यू देखना, मतलब बहुत बड़ी बात होना था. तब मैंने सोचा था कि एक दिन इंडिया टुडे के कवर पर आऊंगा. लोग सुनकर हंसे, लेकिन 2014 में इंडिया टुडे के कवर पर मैं आया. अपनी किताबों पर फिल्में सोची थीं, वे भी बनीं.
● एक समय बॉलीवुड ने आपकी किताबों पर फिल्में बनाईं, क्या अब भी आप फिल्मों के लिए कहानियां लिख रहे हैं?
नहीं, क्योंकि बॉलीवुड मर चुका है. पूरी तरह खत्म हो चुका है. किसी को बॉलीवुड की जरूरत नहीं. सारा मनोरंजन अब आपके मोबाइल पर मौजूद है. आपको याद होगा कि जब हम छोटे थे तब रेडियो का जमाना था और रेडियो के अनाउन्सर भी सेलिब्रेटी हुआ करते थे. अब नहीं हैं न! क्योंकि अब बहुत सारे ऑप्शन हैं. और यह पहली इंडस्ट्री नहीं है जिसके साथ ऐसा हुआ. बल्ब बने तो मोमबत्ती बनाने वालों के साथ यही हुआ. तकलीफ वाली बात है, लेकिन सच यही है.
● क्या रील कल्चर किताबों के लिए संकट नहीं? आप और क्या कुछ लिख रहे हैं?
किताबें कभी खत्म नहीं होंगी क्योंकि ये इंसानी जरूरत हैं. ये जंक फूड नहीं जिनका फैशन आता-जाता है. किताबें दाल-चावल हैं जो भूख भी मिटाती हैं और सेहत भी बनी रहती है.
जहां तक लिखने की बात है तो मैं एक लव स्टोरी लिख रहा हूं. एक नए ऐंगल से. आजकल खासकर जो नई जेनरेशन है वह कैसे पता करे कि जिसे वे प्यार समझ रहे हैं वह सच में प्यार ही है. शारीरिक जरूरतों और प्यार के बीच का अंतर उन्हें कौन समझा रहा है. इसलिए मुझे लगा कि यह ऐंगल एक्सप्लोर करते हुए लिखता हूं.