"मैं एक बेचैन आत्मा हूं"

इंडिया टुडे से बातचीत में ऐक्टर-म्यूजिशियन श्रुति हासन ने बताया कि वो ओवरपैकर हैं, यह इसलिए क्योंकि वो एक बेचैन आत्मा हैं

श्रुति हासन, ऐक्टर-म्यूजिशियन
श्रुति हासन, ऐक्टर-म्यूजिशियन

● आप काम के लिए और निजी तौर पर भी काफी दुनिया घूमी हैं. ऐसा कौन-सा शहर है जहां आप बार-बार जाना पसंद करेंगी?

चेन्नै को लेकर हमेशा मेरे दिल में एक सॉफ्ट कॉर्नर रहेगा. मैं वहीं पैदा हुई और 11वीं तक वहीं पढ़ी. काम के सिलसिले में यहां आती ही रहती हूं. मेरे अप्पा (पिता) यहीं रहते हैं. सही मायनों में यह घर है.

आखिर किन वजहों से आप चेन्नै पर इस तरह से कुर्बान हैं?

मेरे ख्याल से परंपरा और आधुनिकता के बीच इसने जिस तरह से संतुलन साधा है, वह एक बड़ी वजह है. चेन्नै के बारे में सोचते ही समंदर पहले आता है दिमाग में. वो चाहे मरीना बीच हो या एलियट्स बीच, यहां तक कि ईस्ट कोस्ट रोड...

बचपन का लंबा हिस्सा समंदर के इर्दगिर्द ही बीता है. बेसेंट नगर के पास एक स्केटिंग रिंक था, जहां मैं दोस्तों के साथ रोलरब्लेड करती थी. यह वेलंकन्नी चर्च के एकदम पास में था. इस लिहाज से मिली-जुली संस्कृति और लोगों वाली जगह थी.

चेन्नै के अपने खास स्वाद के लिए आप किन जगहों पर जाती थीं?

अपने उम्दा मांसाहारी खाने की वजह से मंजाल रेस्तरां हमेशा से मेरी सबसे पसंदीदा जगहों में से रहा है. उनका क्रैब लॉलीपॉप, कॉइन परोटा और पाया करी बेहद पसंद है. जूनियर कुप्पण्णा के मटन सुक्का के तो कहने ही क्या. और अन्नालक्ष्मी प्योर वेजिटेरियन खाना परोसता है. कभी उसकी थाली आजमाइए.

आप किस मिजाज की मुसाफिर हैं?

मैं ओवरपैकर हूं! यह इस वजह से भी क्योंकि मैं बेचैन आत्मा हूं. हमेशा लगता रहता है कि कपड़े कम पड़ गए तो? पांच दिन की ट्रिप के लिए मैं 15 कपड़े लाद लूंगी. पैकिंग कैसे कम की जाए, इस पर मैं काम कर रही हूं.

ऐसी चीजें जो आप सफर में ले जाना कभी नहीं भूलतीं...

मैं कायदे के एडॉप्टर और प्लग पॉइंट हमेशा साथ रखती हूं खासकर विदेश यात्राओं में. मौसम की भी ताजा जानकारी रखती हूं और उसी मुताबिक पैकिंग करती हूं. ढंग के जूते-चप्पल हमेशा लेकर चलती हूं.

—गीतिका सचदेव.

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