"गमन में मिला मौका मेरी जिंदगी का निर्णायक मोड़ था"
पांच दशक के अपने बहुआयामी म्यूजिकल करियर का जश्न मनाने के इरादे से पद्मश्री हरिहरन ने 30 नवंबर को दिल्ली में एक खास कंसर्ट का आयोजन किया. इस मौके पर उन्होंने इंडिया टुडे हिंदी से खास बातचीत की. पेश है संपादित अंश

• दिल्ली में आपका कंसर्ट सोल इंडिया कैसा रहा?
शो में मैंने हर शैली के गाने गाए - पॉपुलर बॉलीवुड गाने, गजलें और कॉलोनियल कजिंस फ्यूजन. सब कुछ एक में गुंथा-बिंधा.
• आपके म्यूजिकल करियर की कुछ खास बातें क्या रही हैं?
सबसे पहले तो वह जब शामे-गजल के रूप में टेलीविजन पर ब्रेक मिला. फिर आरोही. उसके बाद जयदेव जी ने गमन फिल्म में मौका दिया जो मेरी जिंदगी का निर्णायक मोड़ था. '90 में मैं कामयाबी की चोटी पर था. उस्ताद जाकिर हुसेन के साथ हाजिर 1 खासा हिट रहा था. फिर रोजा और बॉम्बे जैसी साउथ इंडियन फिल्मों में गाया. 1996 में कॉलोनियल कजिंस का संयोग बना.
• फिलहाल आप किस पर काम कर रहे हैं?
फरहत शहजाद के साथ एक गजल एल्बम पर. इसमें सारी गजलें उन्हीं की हैं. इसी साल रिलीज होगा. मेहदी हसन साहब की याद में मैंने दो लाइव शो किए, जो एक एल्बम की शक्ल में रिलीज होंगे. बेटे अक्षय हरिहरन के साथ मैं क्लासिकल, गजल, ठुमरी, ट्रांस और ईडीएम के फ्यूजन प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा हूं.
• आप किन संगीतकारों और गायकों के सबसे ज्यादा मुरीद रहे हैं?
मेरा बहुत सारा काम रहमान के साथ रहा है. ट्रैक्स को जिस अंदाज में उन्होंने कंपोज और प्रोड्यूस किया वह मुझे पसंद था. वही बात लेज्ली (लेविस) के साथ थी. उनके भी कंपोजिशन, प्रोडक्शन और म्यूजिकलिटी का मुरीद हूं. और फिर वे बड़े लोग जिनका सालोसाल प्रशंसक रहा: आशा जी, लता जी, किशोर दा, रफी जी और इलैया राजा.
- नेहा किरपाल