''माफिया लिस्ट में नाम बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह का भी है लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई''

मुख्तार अंसारी के बड़े भाई और गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी ने एसोसिएट एडिटर आशीष मिश्र से बातचीत में अपने परिवार का पक्ष रखा

 गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी
गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी

आपके परिवार पर इतने मुकदमे क्यों दर्ज हैं?
देखिए, 2019 के लोकसभा चुनाव और 2022 के विधानसभा चुनाव में गाजीपुर और आसपास के जिलों में निराशाजनक प्रदर्शन से भाजपा सरकार और उससे जुड़े लोग बहुत निराश हैं. लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी के बगल की गाजीपुर सीट से उनके करीबी मनोज सिन्हा चुनाव हार गए. विधानसभा चुनाव (2022) में नतीजा और कष्टदायक था. आंबेडकरनगर, जौनपुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया और गाजीपुर की 44 सीटों में चार ही भाजपा जीत पाई. सारे तिकड़म लगाने के बाद भी पूर्वांचल में मिली बुरी हार को भाजपा पचा नहीं पा रही.

यानी वह खुन्नस निकाल रही है.
भाजपा को 2024 के लोकसभा चुनाव का डर सता रहा है. मेरे परिवार को विलेन बनाने का प्रयास हो रहा है. अंसारी परिवार विलेन होता तो गाजीपुर में भाजपा का प्रदर्शन सुधरा होता. अंसारी परिवार को जनता के समर्थन से सरकार बौखला गई है. गुस्से में मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं. 

मुख्तार को कोर्ट ने सजा सुनाई है.
कोर्ट के फैसले का हमारे वकील अध्ययन कर रहे हैं. इनमें तमाम विसंगतियां हैं. इसे ऊपर की कोर्ट में चैलेंज करेंगे. मुख्तार पर सारे मुकदमे सरकारी कर्मचारियों, लेखपाल, तहसीलदार वगैरह ने दर्ज कराए हैं, आम जनता ने नहीं.

संभवत: डर के मारे जनता मुकदमा दर्ज कराने सामने न आ रही हो.
स्थानीय प्रशासन और सरकार सभी मुख्तार के विरोध में हैं. निर्वाचन आयोग की निष्पक्ष व्यवस्था है. एक व्यक्ति चुनाव क्षेत्र से सैकड़ों मील दूर है, नामांकन दाखिल करने भी उपस्थित नहीं हो रहा फिर भी चुनाव जीत जाता है. यह या तो सिस्टम की नाकामी है या वह व्यक्ति जनता में बेहद लोकप्रिय है.

स्थानीय भूमिहार जाति के विरोध की राजनीति से अंसारी परिवार ने जनता के बीच पकड़ बनाई है?
यह आरोप गलत है. भूमिहार समाज का एक बड़ा तबका हमारे साथ है. गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट में भूमिहार समाज की आबादी सर्वाधि‍क है. वहां मुसलमान नौ प्रतिशत हैं. वहां से मैं पांच बार और हमारे बड़े भाई सिबगतुल्लाह दो बार विधायक रहे हैं. उनका बेटा मन्नू इस बार मोहम्मदाबाद से विधायक है. भूमिहार समाज में कुछ लोग सामंती सोच के हैं जिनके खिलाफ अंसारी परिवार खड़ा हुआ है. सामंती और दबंग सोच वालों से भूमिहार समाज के गरीब भी परेशान हैं.

अंसारी परिवार ने रणनीति के तहत गरीबों में रॉबिन हुड की छवि बनाई है?
यह विरोधियों की बनाई गई छवि है. वे जानते हैं कि जनता हमारे परिवार को पसंद करती है. हम गरीब जनता पर अत्याचार के खिलाफ खड़े हैं. उसी का खमियाजा परिवार को भुगतना पड़ रहा है. 

आपके परिवार पर अपराध से संपत्ति‍ अर्जित करने का आरोप है.
सरासर गलत है. हमारे परिवार में 12 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हैं, जिनके नाम पर चल रहे विद्यालयों को गिराया जा रहा है. हमारी कोठी, मकान, होटल, दुकान, फार्म हाउस सब जब्त कर लो लेकिन उस गरीब जनता को कैसे जब्त करोगे जो हमारे साथ खड़ी हुई है. हमारे परिवार पर अत्याचार कर, झूठे इल्जाम लगाकर जनता का दिल नहीं जीता जा सकता.

आप मुख्तार अंसारी का क्या राजनैतिक भविष्य देखते हैं?
पिछले 18 साल से जेल में बंद मुख्तार के नाम से ही भाजपा परेशान है. गाजीपुर की माफिया लिस्ट में नाम बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह का भी है लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. उन लोगों ने मुख्तार की हत्या का प्रयास किया था. 21 साल बाद भी उस मुकदमे का ट्रायल नहीं शुरू हुआ है.

मुख्तार के चक्कर में नौकरी छोड़ने वाला अफसर अब बैलों से बिजली बना रहा

पीपीएस के अधिकारी रहते मुख्तार के पास से एलएमजी बरामद की थी शैलेंद्र सिंह ने लखनऊ में गोसाईंगज को मोहनलालगंज से जोड़ने वाली सड़क पर पड़ने वाली नई जेल के पीछे तीन एकड़ खेत के एक कोने पर चार जोड़ी बैल ट्रेडमिलनुमा मशीन पर चल रहे हैं. यह कन्वेयर बेल्ट है जो हाइड्रोलिक पंप के जरिए ऊपर-नीचे की जा सकती है. 'कन्वेयर बेल्ट' को तिरछा करते ही बैल इस पर चलने लगते हैं. यह 'कन्वेयर सिस्टम' एक खास तरह के गियर सिस्टम से जुड़ा है, जो 'कन्वेयर' से मिलने वाले 30 चक्कर प्रति मिनट (आरपीएम) को 1,500 आरपीएम में तब्दील कर देता है. गियर सिस्टम बाजार में मिलने वाले सामान्य अल्टनेटर से जुड़ा है जो 1,500 आरपीएम पर बिजली पैदा करने लगता है. इस अनोखी मशीन से चार बैलों की जोड़ी एक घंटे में 50 किलोवाट बिजली पैदा कर देती है. यह अनोखी मशीन शैलेंद्र सिंह ने ईजाद कर पेटेंट कराई है.

शैलेंद्र कोई इंजीनियर नहीं बल्कि यूपी प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) के 1989 बैच के अधिकारी रहे हैं. वे जनवरी 2004 में उस वक्त चर्चा में आए थे जब स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के पद पर लखनऊ में तैनाती के दौरान इन्हें मुखबिरों से सूचना मिली कि सेना का एक भगोड़ा लाइट मशीन गन (एलएमजी) लेकर भागा है और उसे मुख्तार अंसारी को बेचने की तैयारी में है. उसके बाद शैलेंद्र ने भगोड़े को पकड़ कर एलएमजी (लाइट मशीनगन) बरामद की थी. शैलेंद्र का दावा था कि एलएमजी मुख्तार के पास से बरामद हुई थी. इसी आरोप के चलते मुख्तार के खिलाफ आतंकवाद निरोधक कानून (पोटा) के तहत मामला दर्ज कराया गया था. इसके बाद शैलेंद्र मुलायम सरकार के निशाने पर आ गए थे क्योंकि विधायक के तौर पर मुख्तार सपा को समर्थन कर रहा था. सरकार के दबाव में आकर शैलेंद्र ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था.

बात यहीं खत्म नहीं हुई थी. नौकरी से इस्तीफा देने के बाद शैलेंद्र वाराणसी में समाजसेवा कर रहे थे. उसी दौरान वहां के बलवंत राय डिग्री कॉलेज में भ्रष्टाचार का मामला जोर पकड़े हुए था. कॉलेज के छात्रों के मदद मांगने पर वे छात्रों के साथ डीएम के यहां गए. डीएम अपने ऑफिस में ही नहीं थे. करीब घंटे भर तक इंतजार करने के बाद सभी वहां से लौट आए थे. इसके बाद डीएम ऑफिस के चपरासी लालजी ने वाराणसी की कैंट कोतवाली में डीएम ऑफिस के विश्राम कक्ष की कुर्सियों को तोड़ने, डीएम की कुर्सी पर बैठने, नारा लगाने और सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने का मामला दर्ज करवा दिया. शैलेंद्र के मुताबिक, इस मामले में उन्हें जेल भेजकर प्रताडि़त करने की पूरी तैयारी थी, कोर्ट मंब पेशी के दौरान वकीलों के भारी विरोध के बाद उन्हें कोर्ट से ही जमानत दे दी गई. हालांकि शैलेंद्र को कोर्ट के काफी चक्कर लगाने पड़े. मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद दिसंबर, 2017 में शैलेंद्र के ऊपर दर्ज मुकदमों को वापस लेने की प्रकिया शुरू हुई. सभी पक्षों को सुनने के बाद वाराणसी की सीजेएम कोर्ट ने 6 मार्च, 2021 को शैलेंद्र पर दर्ज मुकदमे को वापस लेने को मंजूरी दी.

शैलेंद्र इन दिनों लखनऊ में रहकर प्राकृतिक खेती और क्लीन एनर्जी-ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में नए प्रयोग कर रहे हैं. बैलों की ऊर्जा से बिजली बनाने के तंत्र विकसित करने के बाद शैलेंद्र यूपी सरकार समेत देश के दूसरे प्रदेशों की सरकारों की नजर में आ गए हैं. शैलेंद्र ने इस पूरे सिस्टम को ''नंदी ऊर्जा'' नाम दिया है. शैलेंद्र बताते हैं, ''दिसंबर 2017 में मैंने गाय के संरक्षण पर एक जनहित याचिका हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखि‍ल की थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मुझसे ही आवारा पशुओं की बढ़ती समस्या के समाधान के बारे में पूछा. इसके बाद खेती में गाय और बैलों के उपयोग का एक टिकाउ तंत्र बनाने के प्रयोग शुरू किए.

इसी का नतीजा नंदी ऊर्जा के रूप में सामने आया है.'' फरवरी, 2020 में शैलेंद्र ने पहली बार आठ बैलों से 20 किलोवाट बिजली पैदा कर इसका डेमो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय के अधिकारियों के सामने दिया था. इसके बाद सरकार ने प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू करने के लिए शैंलेद्र से ''नंदी ऊर्जा'' के आठ प्रोटोटाइप मांगे हैं. जनवरी, 2021 में राजस्थान सरकार के तत्कालीन प्रमुख सचिव पशुधन के.एल. मीणा भी नंदी ऊर्जा का प्रोजेक्ट देखने लखनऊ में शैलेंद्र के खेत पर पहुंचे. राजस्थान सरकार ने भी अपने 3,000 गो आश्रय केंद्रों में नंदी ऊर्जा जैसे प्रोजक्ट शुरू करने की मंशा जताई है.
 

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