“अयोध्या में राम मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा पर सभी गांवों में होंगे सांस्कृतिक आयोजन”
उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह से अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से जुड़ी तैयारियों और उनके विभाग से संबंधित दूसरे मुद्दों पर बातचीत

पर्यटन और संस्कृति विभाग के कैबिनेट मंत्री के रूप में आप अभी तक के अपने कार्यकाल को कैसा आंकते हैं?
पहले पर्यटन विभाग केवल कमिश्नरी तक ही सीमित था. किसी जिले में पर्यटन और संस्कृति की कोई गतिविधि नहीं थी. न कोई कार्यालय था. मैंने मंत्री बनने के बाद हर जिले तक पर्यटन विभाग का ढांचा तैयार करने पर जोर दिया. ताकि हर जिले में पर्यटन और संस्कृति विभाग की गतिविधियां संचालित की जा सके. इसके लिए हर जिले में 'जिला पर्यटन एवं संस्कृति परिषद' का गठन किया गया. परिषद का अध्यक्ष जिलाधिकारी को बनाया गया. इसमें जिला पर्यटन अधिकारी को बतौर सचिव शामिल किया गया. जिले में विकास कार्यों से जुड़े सभी अधिकारियों को परिषद का सदस्य बनाया गया. सभी जनप्रतिनिधियों को भी सदस्य बनाया गया. पर्यटन और संस्कृति में योग्यता और रुचि रखने वाले दो लोगों को भी सदस्य के तौर पर नामित किया गया.
लेकिन कलाकार उपेक्षा का शिकार होकर आर्थिक तंगी में जीवन गुजार रहे हैं?
अब ऐसा नहीं है. पिछले साल 15 अगस्त के दौरान 'आजादी का अमृत महोत्सव' कार्यक्रम का नोडल पर्यटन विभाग था. अभी तक समारोह में जो कार्यक्रम होते थे उसकी न तो कोई नीति थी ओर न ही रीति. यह एनजीओ की कमाई का जरिया बन गए थे. हमने तय किया कि प्रदेश में गायन, वादन और नृत्य के जितने भी कलाकार हैं उन सभी का पर्यटन विभाग के तहत पंजीकरण कराया जाए. कुल 4000 से अधिक कलाकार पंजीकृत हुए.
इन कलाकारों को हर जिले में 'जिला पर्यटन एवं संस्कृति परिषद' के माध्यम से 2022 में 11 से 15 अगस्त तक आयोजित कार्यक्रमों में प्रतिभा दिखाने का मौका दिया गया. कलाकारों के प्रदर्शन के हिसाब से उनकी ए, बी और सी तीन श्रेणियां बनाई गईं. इन तीन श्रेणियों के हिसाब से कलाकारों का मानदेय तय किया गया. यह भी तय किया गया कि हर कलाकार को साल में तीन से ज्यादा कार्यक्रम नहीं दिए जाएंगे. इससे सभी कलाकारों को मौका मिलने की राह भी खुली. इसके अलावा प्रदेश में ऐसे विभिन्न विधाओं के कलाकार जिन्होंने भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में अपना जीवन लगा दिया है ऐसे पंजीकृत बुजुर्ग कलाकारों को संस्कृति विभाग पेंशन देने की नई योजना शुरू कर रहा है.
पर्यटन और संस्कृति से जुड़े आयोजन महानगरों तक ही सीमित दिखाई दे रहे हैं?
पहले ऐसा था लेकिन अब नहीं. सांस्कृतिक आयोजनों को महानगरों से गांव-देहात और नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए विश्वविद्यालयों, डिग्री कॉलेज, इंटर कॉलेज में युवा पर्यटन क्लब का गठन किया गया. इसमें एक शिक्षक के अलावा 25 विद्यार्थियों को शामिल किया गया है. इस युवा पर्यटन क्लब को प्रोहत्साहित करने के लिए विभाग ने प्रत्येक के एकाउंट में 10-10 हजार रुपए भेजे. इन्हें प्रदेश की सांस्कृतिक, पर्यटक स्थलों के प्रचार प्रसार का जिम्मा सौंपा गया. सर्वाधिक अच्छा काम करने वाले 10 युवा पर्यटन क्लबों को इस वर्ष 27 सितंबर को पर्यटन विभाग सम्मानित करने जा रहा है.
सांस्कृतिक आयोजन और कलाकार प्रभावी एनजीओ के चंगुल से बाहर ही नहीं निकल पा रहे हैं?
पर्यटन और संस्कृति विभाग ने कलाकारों को एनजीओ के चंगुल से मुक्त करने में कामयाबी हासिल की है. विश्वविद्यालय या अन्य शैक्षिक संस्थाएं अगर अपने यहां कोई कार्यक्रम आयोजित करती हैं तो पर्यटन विभाग उन्हें नि:शुल्क कलाकार मुहैया कराएगा जो अपने हुनर का प्रदर्शन करेंगे. इस तरह कलाकारों के जरिए ग्रामीण अंचलों और युवाओं को संस्कृति से जोड़ने का प्रयत्न किया जा रहा है. प्रदेश के सभी 75 जिलों में उनके स्थापना दिवस के मौके पर में जिला पर्यटन एवं संस्कृति परिषद के माध्यम से समारोह आयोजन करने का निर्णय भी लिया गया है. इसके लिए पर्यटन विभाग बजट मुहैया करा रहा है.
राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए विभाग किस तरह तैयारी कर रहा है?
अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान हर जिले में जिला पर्यटन एवं संस्कृति परिषद के माध्यम से विस्तृत कार्यक्रमों के आयोजन की रूपरेखा बनाई जा रही है. हर गांव में आयोजन होंगे. गांवों में स्थानीय कलाकारों के माध्यम से सांस्कृतिक कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है. हर गांव में खुशियां कुछ ऐसी भावना से मनाई जाएंगी जैसे वनवास काटकर जब भगवान श्रीराम अयोध्या वापस आए हों.
अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में देश-विदेश में जहां भी भगवान राम के अनुयायी हैं और जहां भी हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति को मानने वाले लोग हैं, उन देशों से अतिथि और श्रद्धालु भी आएंगे. वहां के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी अयोध्या में आयोजन किया जाएगा. समारोह में अलग-अलग देशों में में होने वाली राम लीलाओं का मंचन भी होगा. इसके लिए इन देशों के कलाकार भी बुलाए जाएंगे. संस्कृति विभाग ने अलग-अलग प्रदेशों और देशों के विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू किया है जिसमें सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत कलाकार अयोध्या में अपने-अपने क्षेत्र से जुड़े भगवान राम की थीम पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन करेंगे. इस बार दीपोत्सव से प्राण प्रतिष्ठा समारोह का काउंटडाउन शुरू हो जाएगा.
अयोध्या में इस बार का दीपोत्सव पिछले वर्षों की तुलना में कैसे अलग होगा?
इस बार 21 लाख दिये जलाने की योजना है. पिछली बार साढ़े 17 लाख दिये जलाकर विश्व रिकार्ड बनाया गया था. इस बार यह रिकॉर्ड टूट जाएगा. निर्माणाधीन राम मंदिर समेत सभी मंदिरों को दियों से सजाया जाएगा. अयोध्या का अवध विश्वविद्यालय और राम मंदिर ट्रस्ट इस योजना को अंतिम रूप दे रहा है.
अयोध्या में सारा विकास निर्माणाधीन राम मंदिर के इर्द-गिर्द ही सिमट कर रह गया है. यहां बहुत सारे मंदिर जीर्णशीर्ण हालत में हैं?
अयोध्या में जितने भी ऐतिहासिक मंदिर और अन्य धार्मिक स्थल हैं उनका जीर्णोद्धार धर्मार्थ कार्य विभाग कर रहा है. वहीं पर्यटन विभाग उन मंदिरों के आसपास नागरिक एवं पर्यटक सुविधाओं का विकास कर रहा है. अयोध्या में ऐसे 37 मंदिरों पर कार्य चल रहा है. इसके अलावा अयोध्या में अन्य प्रमुख मंदिर जहां पर्यटकों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है वहां भी सड़कों का चौड़ीकरण और सुविधाओं का विकास किया रहा है.
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद रोज करीब एक लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद लगाई जा रही है. इतनी बड़ी भीड़ का मैनेजमेंट कैसे करेंगे?
जिस तरह वाराणसी के काशी कॉरिडोर में लाखों श्रद्धालु बिना किसी दिक्कत के दर्शन करते हैं इस तरह पूरी अयोध्या में श्रद्धालु बिना किसी दिक्कत के दर्शन कर सकेंगे. इसके लिए एक विस्तृत योजना बनाई गई है. सड़कों को चौड़ा किया जा रहा है. वन-वे की व्यवस्था लागू की जा रही है. साथ ही अयोध्या में चौदह कोसी परिक्रमा, पांच कोसी परिक्रमा मार्ग का नए सिरे से विकास किया जा रहा है. यहां हर जगह कुछ दूरी पर यात्री सुविधाएं विकसित की जा रही हैं. अयोध्या छह जिलों से जुड़ता है. इन जिलों से आने वाली सभी छह सड़कों पर प्रवेशद्वार बनाया जा रहा है.
ये केवल प्रवेश द्वार नहीं होंगे, यहां साथ में एक बड़ा कांप्लेक्स भी बना रहे हैं. यहां पर्यटकों के भोजन से लेकर ठहरने तक का इंतजाम होगा. इसके अलावा यहां पर पर्यटन सूचना केंद्र भी बनेंगे जहां से अयोध्या के सभी मंदिरों समेत दर्शन और अन्य व्यवस्था की जानकारी मिल सकेगी. अयोध्या में जल मार्ग के जरिए भी श्रद्धालु मंदिरों के दर्शन कर सकेंगे. इसके लिए सरयू नदी में जटायु क्रूज का जलावतरण किया गया है. इससे श्रद्धालु गुप्तार घाट से लेकर नया घाट तक 9 किलोमीटर की दूरी तय करके मंदिरों के दर्शन कर सकेंगे. कई और क्रूज भी अयोध्या लाए जा रहे हैं. इन क्रूज का किराया काफी कम में 300 रुपए ही रखा गया है. इसमें श्रद्धालु डेढ़ घंटे की यात्रा के दौरान स्वल्पाहार भी कर सकेंगे.
बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के अयोध्या में पहुंचने को देखते हुए उनके लिए होटल या ठहरने के इंतजाम काफी कम हैं?
अयोध्या में पर्यटन विभाग का जो गेस्ट हाउस बना है, उसी परिसर में एक नए होटल के निर्माण की भी योजना बनाई गई है. इसे 6 महीने के अंदर तैयार कर लिया जाएगा. अयोध्या आने वाले श्रद्धालु दूसरे धार्मिक स्थल भी कम समय में घूम सके, इसके लिए भी विस्तृत तैयारियां की जा रही हैं. उत्तराखंड के चारों धाम और पश्चिमी यूपी के तीर्थ स्थलों को जोड़ता हुआ एक सर्किट तैयार किया गया है. एक सर्किट बुंदेलखंड में चित्रकूट से लेकर प्रयागराज और नैमिषारण्य तक है. वाराणसी, अयोध्या से होते हुए गोरखपुर तक भी एक सर्किट तैयार किया जा रहा है. ऐसा ही बौद्ध सर्किट भी बन रहा है. इनमें सब में हेलीपोर्ट स्थापित किये जा रहे हैं. जहां कई कंपनियों के हेलीकॉप्टर रहेंगे. यह योजना पीपीपी मॉडल पर तैयार की जा रही है. हेलीपोर्ट की कनेक्टिविटी एयरपोर्ट से भी रहेगी. इससे श्रद्धालु एक दिन में एक पूरे सर्किट का भ्रमण आसानी से कर सकेंगे. उन्हें आमतौर पर कहीं ठहरने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.
पर्यटन विभाग की पूरी कवायद काशी-मथुरा-अयोध्या के इर्द-गिर्द ही सिमटती जा रही है?
ऐसा नहीं है. मगहर में कबीर शोध संस्थान बनाया है. वाराणसी में रविदास मंदिर को नए सिरे से तैयार किया जा रहा है. प्रयागराज में निषादराज गुहा का मंदिर, म्यूजियम और ऑडिटोरियम बनाया जा रहा है. बलरामपुर के इमलिया कोडर में थारू जनजातियों के संग्रहालय का निर्माण कराया गया है. इसके रख-रखाव और संचालन, संरक्षण का जिम्मा दीनदयाल शोध संस्थान, नई दिल्ली को सौंपा गया है. लखनऊ के ऐशबाग में आंबेडकर स्मारक बनाया जा रहा है.
दलित श्रद्धा के सभी स्थलों को संवारा जा रहा है. ऐसे सभी धार्मिक स्थल जहां पर्यटकों के आने की संभावना है वहां बेहतरीन कनेक्टिविटी देने का प्रयास किया जा रहा है. इस वर्ष मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीडब्ल्यूडी विभाग को 1000 करोड़ रुपए का बजट केवल धार्मिक स्थलों में रोड कनेक्टिविटी के विकास के लिए आवंटित किया है. इन सड़कों का प्रस्ताव पर्यटन विभाग से लोक निर्माण विभाग को भेजा जा चुका है. इसमें एक्सप्रेस-वे और हाईवे के किनारे तीर्थ स्थलों को सीधे सड़क से कनेक्ट कर दिया जाएगा.
पर्यटन विभाग के गेस्ट हाउस को निजी हाथों में सौंपने का निर्णय क्यों लिया गया?
प्रदेश भर में धार्मिक और पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण जिलों में राही पर्यटक गृह बने हुए हैं. यह सभी प्राइम लोकेशन पर हैं. पिछली सरकारों की उपेक्षा के कारण ज्यादातर घाटे में चल रहे हैं. कुछ बंद पडे हुए हैं. ऐसे सभी पर्यटक आवास गृहों को 62 साल के लिए लीज पर देने का निर्णय लिया गया है. अभी 31 पर्यटक आवास गृहों को दिया जा रहा है. इसके अलावा प्रदेश के 8 हेरिटेज भवनों को भी पीपीपी मोड पर होटल, रिज़ॉर्ट के रूप में विकास के लिए दिया जा रहा है. इसके अलावा लखनऊ में छत्तर मंजिल (पुराना सीडीआरआई भवन) को फाइव स्टार होटल के रूप में तैयार करने की भी योजना है. बुंदेलखंड में राजस्थान की तर्ज पर यहां के किलों का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है. पर्यटक यहां रुक भी सकेंगे.