कौन हैं एटली, जिन्होंने शाहरुख को फिर बादशाह बना दिया?

शाहरुख खान की फिल्म 'जवान' के निर्देशक एटली 19 साल की उम्र से सिनेमा के दांव-पेच सीख रहे हैं और आज 36 साल की उम्र तक उनके खाते में एक भी फ्लॉप फिल्म नहीं है

जवान के ऑडियो लॉन्च प्रोग्राम के दौरान शाहरुख खान के साथ एटली
जवान के ऑडियो लॉन्च प्रोग्राम के दौरान शाहरुख खान के साथ एटली

आपको सीटी मारनी आती है? होंठ भींचकर जीभ के एक खास कोण से गुजरी हवा को सीटी का दर्जा मिला हुआ है. जैसे कुतर्क करना कला है या विज्ञान, इस पर समाजशास्त्री एकमत नहीं हो सके. वैसे ही सीटी एक समर्थ संगीत वाद्य है या कुछ खास लोगों का स्टाइल ऑफ कम्युनिकेशन, इस पर भी एकमतता आ नहीं पाई. कलाकारों के सीटी बजाने को इसी वजह से शराफत की कमीज में फिट आने वाले सीटी मारना कहते हैं, बजाना नहीं.

क्या आप भी कई कोशिशों के बाद सीटी बजाने की कला नहीं साध पाए? कोई बात नहीं. आप इस ग्रह पर अकेले नहीं जो सीटी ना मार सकते हों. लेकिन एकबारगी सोचिए कि वो लोग जो सीटी के साधक बने, एक पूरे वाक्य को एक खास डेसिबल की सीटी से कहने का आविष्कार करने वाले खोजी अब क्या करते होंगे. सीटी मारने के मौकों में भारी गिरावट से कहीं ये कला विलुप्त तो नहीं हो जाएगी? कितना बुरा महसूस होगा जब आप किसी दिन बाथरूम के आत्मिक आनंद में किसी मौजू लेकिन गहरे सवाल के जवाब में सीटी बजाना चाहें और आप भूल चुके हों सीटी कला. उफ्फ्फ... जंग लगी तलवार.

बहरहाल सिनेमाघर बने हुए हैं सीटी संरक्षण केंद्र (सिसक). पर्दे पर जब शाहरुख खान जूते की नोक घिसकर सिगार जला दें और अगले ही पल गुंडों से भरे ट्रक को उसी सिगार से तबाह कर दें तो क्या होगा? जगह-जगह से जुटे सीटीमार सीने की धौंकनी फुलाकर धार देते हैं अपनी कला को. सिनेमाघर गूंज उठता है चीख-चिल्लाहट-चमकीली सीटियों से. लेकिन सिनेमाघर में इस पल की बाकायदा बुनावट होती है. एक आदमी होता है जो पर्दे के उस तरफ बैठकर हमारा-आपका दिमाग पढ़ता है. उसे कमोबेश अंदाजा होता है कि ये सीन सीटीमार है या नहीं.

जवान में ये काम फिल्म के डायरेक्टर एटली ने किया है. लेकिन ये एटली हैं कौन? अगर एटली इतने कद्दावर डायरेक्टर थे कि शाहरुख खान ने अपने करियर के बेहद नाजुक मोड़ पर कप्तानी के लिए एटली को चुना, तो एटली का नाम सुना-सुना सा क्यों नहीं लगता. जब शाहरुख खान ने एटली के साथ फिल्म अनाउन्स की थी तब हिंदी भाषी जनता कुलबुला गई थी कि आखिर ये एटली क्या कारनामा दिखाने वाले हैं. लेकिन दक्षिण भारत के करोड़ों लोग चुपचाप बैठे मुस्कुरा रहे थे. क्योंकि उन्होंने एटली का जादू कई बार देखा था. उन्हें मालूम था कि महज 19 साल की उम्र से सिनेमा मेकिंग के दांव पेच सीख रहे एटली ने जनता की नब्ज पहचान ली है. 36 साल की उम्र में आज भी एटली के नाम एक भी फ्लॉप फिल्म नहीं है.  

अरुण कुमार उर्फ़ एटली

तमिलनाडु के मदुरै में जन्मे अरुण कुमार को फ़िल्में बचपन से अपनी तरफ खींचती थीं. बतौर दर्शक सिनेमा देखते रहने से पर्दे के दूसरी तरफ जाने का फैसला अरुण ने बहुत जल्दी कर लिया था. 19 साल की उम्र में अरुण ने अपना नाम बदल के एटली कर लिया. एटली ने सिनेमा मेकिंग के छोटे-छोटे काम करके जो रास्ता बनाया वो उन्हें डायरेक्टर शंकर तक ले गया. जिनकी फिल्म एंथीरन (2010) से एटली असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर जुड़े. रजनीकांत और ऐश्वर्या राय बच्चन इस फिल्म के लीड रोल में थे. इसके बाद शंकर ने 2012 में हिंदी फिल्म थ्री इडियट्स की तमिल रीमेक बनाई नानबन के नाम से. एटली इसके भी असिस्टेंट डायरेक्टर थे.  

इन दोनों फिल्मों की कामयाबी के बाद एटली ने खुद की फिल्म डायरेक्ट करने का फैसला किया. शंकर के असिस्टेंट होते हुए एटली ने दिग्गज कलाकारों को किस कदर प्रभावित किया था इसकी बानगी है एटली का डायरेक्टोरियल डेब्यू. 2013 में जब एटली अपनी फिल्म राजा रानी शुरू कर रहे थे तब उनका मुहूर्त शॉट दिग्गज एक्टर कमल हासन ने लिया था. रजनीकांत ने एटली को गुड लक कहा था. और ये गुड लक काम भी आया जब एटली की पहली फिल्म कामयाब साबित हुई. 

एटली का विजय पथ

एटली ने नानबन में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर थलपति विजय के साथ काम किया था. विजय की पिछली दोनों फ़िल्में बहुत कमाल नहीं कर पाई थीं. ऐसे में विजय और एटली की जोड़ी बनी. विजय को भरोसा था कि एटली उनकी डूबती नाव को पार लगा देंगे. साल 2016 में विजय और समांथा प्रभु के साथ एटली ने थेरी बनाई. एक्शन पैक्ड इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस का बाजा फाड़ दिया.

विजय थलपति की फिल्म थेरी को एटली ने डायरेक्ट किया था

इस सुपरहिट फिल्म के बाद विजय और एटली का संग हो गया पक्का. एटली ने विजय के साथ 2017 में मर्सल बनाई. सुपरहिट. इसके बाद एटली ने एक्शन को एक लेवल और बढ़ाया विजय की अगली फिल्म बिगिल (2019) में. इस फिल्म ने तमिल सिनेमा इंडस्ट्री में कामयाबी की नई मिसाल ही कायम कर दी. बिगिल की मेकिंग के दौरान ही विजय ने एटली को मिलवाया शाहरुख खान से. शाहरुख को एटली के काम का अंदाज पसंद था.

एटली की बनाई फिल्म मर्शल और बिजिल ने खूब कमाई की थी

इसके बाद एक दिन जब एटली के पास शाहरुख खान के ऑफिस से फोन आया कि शाहरुख आपके साथ फिल्म करना चाहते हैं तो एटली दुविधा में पड़ गए. एटली ने जवाब दिया कि टिपिकल बॉलीवुड स्टाइल सिनेमा उनकी खूबी नहीं है. तब उनको जवाब मिला कि शाहरुख आपके साथ काम करेंगे आपकी पसंद की कहानी पर. बस एटली शाहरुख से मिलने पहुंच गए. और जैसा कि एटली ने अपने एक इंटरव्यू में कहा है कि शाहरुख खान ने सिर्फ इतना ही सुना था कि फिल्म में उनके साथ पांच लड़कियां होंगी जिन्हें इनका किरदार इंसाफ दिलाएगा, शाहरुख ने हां कह दिया था. इसके बाद बनी जवान. और कहा जा रहा है कि जवान की कामयाबी दोहराने में शाहरुख और एटली देरी नहीं करना चाहते इसलिए जवान के सीक्वल पर काम शुरू हो चुका है.

थलपति विजय और शाहरुख खान के साथ एटली

रंग को लेकर हुए थे ट्रोल

2019 के एक आईपीएल मैच में शाहरुख खान स्टेडियम में बैठकर मैच देख रहे थे. उसी मैच में एक शख्स शाहरुख के ठीक बगल में बैठा हुआ था. शाहरुख के होने से कैमरे लहालोट थे और फिर-फिरकर उनके रिएक्शन जनता को दिखा रहे थे. लोगों को ये समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक शाहरुख खान के इतने क्लोज सर्कल में दिख रहे इस शख्स से शाहरुख इतने ज्यादा दोस्ताना क्यों हैं. शाहरुख बार-बार अपने बगल में बैठे इस शख्स को मैच की बारीकियां समझा रहे थे. ये शख्स थे एटली.

आईपीएल के एक मैच के दौरान शाहरुख खान के साथ एटली

अगले दिन शाहरुख के बगल में बैठे एटली इंटरनेट पर वायरल हुए. शाहरुख से अपने रिश्तों को लेकर नहीं,बल्कि अपने चेहरे के गहरे सांवले रंग की वजह से. अपने-अपने मोबाइलों के पीछे बैठे ट्रोल्स उस दिन अपनी नाकामयाबी कि कुंठा इस शख्स के पैदाइशी रंग से दबाने की कोशिश में लगे रहे. एटली ने इस ट्रोलिंग को नज़रअंदाज किया. आज बहुत मुमकिन है कि सिनेमाघरों में वही ट्रोल्स एटली की फिल्म पर तालियां पीट रहे हों. एटली जानते थे कि जवाब कब और कैसे देना है.

बहरहाल एटली अचानक प्रकट हुआ कोई धूमकेतु नहीं हैं. खुद को साबित करने की आग से तपा ये सितारा हिंदी सिनेमा के आसमान पर अब दिखा है. दक्षिण भारत में तो एटली एक दशक से चमक रहे हैं. उम्मीद है कि हिंदी सिनेमा को एटली अभी और सीटीमार फिल्में देंगे. तब तक आप क्या करेंगे? इस बार अगर आप ना मार पाए हों तो अगली बार के लिए सीटी मारना ही सीख लीजिए.

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