सैंटियागो मार्टिन: एक मजदूर जो बना 'लॉटरी किंग', अब है इलेक्टोरल बॉन्ड का सबसे बड़ा खरीदार

14 मार्च को चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा देने वाले लोगों का ब्योरा सार्वजनिक किया. इसमें जो सबसे बड़ा नाम उभर कर सामने आया वो है फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, जिसके चेयरमैन हैं सैंटियागो मार्टिन

सैंटियागो मार्टिन, चेयरमैन, फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड
सैंटियागो मार्टिन, चेयरमैन, फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड

जरा सोचिए. भारत से करीब पांच हजार किलोमीटर दूर किसी दूसरे देश में एक मजदूर काम कर रहा है. अचानक एक दिन उसे खयाल आता है कि अब वापस भारत लौटना चाहिए. यहां पहुंच कर वो एक साधारण-सा बिजनेस शुरू करता है- लॉटरी का. धंधा चल निकलता है. इतना कि एक अच्छे-खासे समय के बाद उसका कारोबार खरबों में पहुंच जाता है. दुनिया उसे 'लॉटरी किंग' के नाम से जानने लगती है. यहां तक तो कहानी बिलकुल साफ दिखती है- एकदम पानी की तरह. पर क्या वाकई में पानी इतना साफ है?

बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने 12 मार्च को चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डेटा उपलब्ध कराया था. 14 मार्च को चुनाव आयोग ने जब इस डेटा को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया तो इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा देने के मामले में जो सबसे बड़ा नाम उभर कर सामने आया, वो फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड है. इसके चेयरमैन हैं सैंटियागो मार्टिन. मार्टिन कभी मजदूर थे, म्यांमार में ही. बिलकुल ठीक, इस स्टोरी की भूमिका उन्हीं के बारे में लिखी गई है. 

चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक, फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने अक्टूबर 2020 और जनवरी 2024 के बीच 1368 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे. कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड की सबसे बड़ी खेप अक्टूबर 2021 में खरीदी जब उसने 195 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे. जनवरी 2022 में दो बार में इस कंपनी ने 210 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे. अब यहां सवाल उठ सकता है कि फ्यूचर गेमिंग आखिर कितनी बड़ी कंपनी है? सैंटियागो मार्टिन कौन हैं? मार्टिन का एक आम मजदूर से अरबपति बिजनेस मैन बनने तक का सफर कैसा रहा है. आइए बारी-बारी से इन सवालों की तहकीकात करते हैं. 

फ्यूचर गेमिंग कंपनी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक इसकी स्थापना 30 दिसंबर 1991 में हुई थी. इस कंपनी का रजिस्टर्ड पता तमिलनाडु के कोयम्बटूर में है, लेकिन इसका वो पता जहाँ खाते की किताबें रखी जाती हैं वो कोलकता में है. ये कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड नहीं है. फ्यूचर गेमिंग कंपनी को पहले 'मार्टिन लॉटरी एजेंसीज लिमिटेड' के नाम से जाना जाता था. वेबसाइट की मानें तो ये कंपनी दो अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के कारोबार के साथ भारत के लॉटरी उद्योग में अग्रणी खिलाड़ी है.

59 साल के सैंटियागो मार्टिन की दिलचस्प कहानी शुरू होती है 1988 से, जब वे म्यांमार से एक साधारण मजदूर के रूप में तमिलनाडु लौटे. इसी साल उन्होंने मार्टिन लॉटरी एजेंसीज लिमिटेड के नाम से कोयम्बटूर में एक लॉटरी कंपनी खोली. देखते ही देखते उनकी ये दो अंकों की लॉटरी घर-घर में एक जाना-पहचाना नाम बन गई, 'लॉटरी मार्टिन' के क्रेज ने उस इलाके में धूम मचा दी. मार्टिन ने अब व्यवसाय फैलाने की सोची. कोयम्बटूर के अलावा वे अब कर्नाटक और केरल तक धंधा करने लगे. 

साल 2008. जगह-केरल. वही केरल जहां लॉटरी लोगों के दिमाग और सरकार के राजस्व में छाई रहती है. इसी राज्य में मार्टिन का राजनीतिक घोटाले से पहली बार पाला पड़ा. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2008 में मार्टिन ने सीपीआई (एम) के मुखपत्र देशाभिमानी को 2 करोड़ रुपये दिए थे. लेकिन इसी समय सीपीआई (एम) की केरल इकाई दो समूहों में बंटकर आंतरिक लड़ाई में उलझी पड़ी थी. एक की अगुआई पिनाराई विजयन कर रहे थे, दूसरे की वी एस अच्युतानंदन. तिस पर हालत ये कि मार्टिन पर पहले से ही सिक्किम सरकार के 4500 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के आरोप लग रहे थे. 

उस समय विजयन ही पार्टी के मुखपत्र देशाभिमानी और पार्टी की कमान संभाल रहे थे, जबकि अच्युतानंदन पार्टी के खिलाफ मुखर होकर सीधे हमले कर रहे थे. विजयन गुट को उनके इस हमले के बाद पीछे हटना पड़ा. मार्टिन के दो करोड़ रुपये वापस कर दिए गए. और प्रकाशन के महाप्रबंधक के रूप में कार्यभार संभाल रहे मालाबार के नेता ईपी जयराजन को भी हटा दिया गया. इस घटना के बाद 'लॉटरी मार्टिन' राज्य में लगभग सभी राजनीतिक चर्चाओं से जुड़ा एक नाम बन गया. 

द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम यानी डीएमके के साथ करीबी संबंधों की वजह से भी मार्टिन की किस्मत में उतार-चढ़ाव देखने को मिले. 2011 में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री थे एम. करुणानिधि, जो डीएमके के ही मुखिया थे. इसी साल मार्टिन ने 'इलाइगनन' नाम की एक तमिल फिल्म का निर्माण किया, जिसका स्क्रीनप्ले खुद सीएम करुणानिधि ने लिखा था. लेकिन जब राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ और अन्नाद्रमुक सरकार में आई, तो मार्टिन की किस्मत को जैसे नजर लग गई. 

बतौर मुख्यमंत्री शपथ लेने वालीं जयललिता ने अपने शासन के शुरुआती दिनों में ही माफिया नेताओं को सबक सिखाने के लिए 'गुंडा' कानून लागू किया. सैंटियागो मार्टिन सहित डीएमके के सैकड़ों नेताओं और समर्थकों को जमीन हड़पने के आरोप में और गुंडा कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि बाद में मद्रास हाई कोर्ट ने मार्टिन की हिरासत रद्द कर दी और उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया. यहां से कहानी थोड़ी बदलती है और अब एंट्री होती है लीमा रोज की, जो मार्टिन की ही धर्मपत्नी हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्टिन जब आठ महीने से अधिक समय तक जेल में रहे और इस बीच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) भी उनके खिलाफ कई लॉटरी मामलों में आरोपपत्र तैयार कर रही थी, उनकी पत्नी लीमा रोज ने कारोबार संभालना शुरू कर दिया. मई 2012 में लीमा ने पुलिस में शिकायत दर्ज की कि मार्टिन को फर्जी लॉटरी मामले में जानबूझकर फंसाया गया है. 

लीमा ने इस मामले में दो लॉटरी एजेंटों को अभियुक्त बनाया था जिनमें से एक एम करुणानिधि के परिवार का करीबी था. इसके बाद लीमा राजनीतिक दल भारतीय जननायगा काची (आईजेके) में शामिल हो गईं. तब 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पीएम की कुर्सी के लिए पहली बार ताल ठोक रहे थे. वे चुनाव प्रचार के लिए कोयम्बटूर आए थे जहां लीमा उनके साथ मंच साझा करती हुई दिखीं.

बहरहाल, पिछले एक दशक में देखें तो मार्टिन का व्यवसाय सिर्फ लॉटरी तक ही सीमित नहीं रहा है. कोयम्बटूर के नजदीक मार्टिन के स्वामित्व में मार्टिन होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल हैं. इसके अलावा मार्टिन ने एसएस म्यूजिक (एक टेलीविजन म्यूजिक चैनल), एम एंड सी प्रॉपर्टी डेवेलपमेंट, मार्टिन नन्थावनम अपार्टमेंट और लीमा रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड जैसे धंधे भी शुरू किए हैं. लेकिन इस बीच मार्टिन के साथ जो सबसे खास बात रही है वो ये कि विवादों ने उनका दामन कभी नहीं छोड़ा है. 

2011 में अवैध लॉटरी कारोबार पर एक्शन के तहत मार्टिन को तमिलनाडु और कर्नाटक पुलिस की तलाशी का सामना करना पड़ा.  2013 में, केरल पुलिस ने अवैध लॉटरी संचालन की जांच के सिलसिले में मार्टिन के परिसर पर रेड मारा. 2015 में, आयकर विभाग ने कर चोरी और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक सहित विभिन्न राज्यों में मार्टिन के परिसरों पर छापे मारे. 2016 में, प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के सिलसिले में मार्टिन की संपत्तियों पर छापा मारा. 

इसके अलावा सीबीआई ने भी 2018 में अवैध लॉटरी संचालन से जुड़े एक व्यापक जांच के सिलसिले में कई राज्यों में मार्टिन के आवासों और कार्यालयों की तलाशी ली. मार्टिन पर आखिरी बार कार्रवाई मई 2023 में हुई थी, जब ईडी ने सिक्किम सरकार के 900 करोड़ रुपये से अधिक के कथित नुकसान से जुड़े मामले में धन शोधन कानून के तहत मार्टिन के 457 करोड़ रुपये जब्त किए.

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